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प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 20)





पहाड़ियों की सर्पिली सड़कों को रौंदते हुए अनि मसूरी की ओर बढ़ता चला जा रहा था, इस वक़्त उसके चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आ रहे थे। अरुण उससे बेवजह ही झगड़ा करके वहीं जंगलों में गायब हो चुका था। और ब्लैंक के अगले कदम के बारे में किसी को कोई अंदाजा तक भी न था। क्रेकर बेआवाज तेज गति से दौड़ रहा था, वह रात के काले साये को चीरते हुए चला जा रहा था।

'ये सारा कमाल खाली स्थान भैया का है, और ये बात बर्बादी जी के गर्म खोपड़ियां में नहीं जाने वाली, मुझे तो शक है कि वो अब भी मुझपर शक करता है, अरे नही यार मैं प्रेमिका नहीं हूँ उसकी.. पर जिस तरह वो सबकुछ बर्बाद करते रहता है, एकदिन सबकुछ बर्बाद हो जाएगा।

मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो, यही न कि मैं तो दिल्ली से यहां घूमने आए था तो फिर ये सब मेरा मतलब हीरोगिरी वाला काम क्यों कर रहा हूँ?

जवाब बड़ा सिंपल है क्योंकि मैं इसी काम के लिए यहां आया हूँ! कुछ दिन पहले चीफ को खबर मिली कि दिल्ली एक बहुत बड़े संकट में फंसने वाली है। फिर क्या था उनके द्वारा अपने सबसे काबिल एजेंट यानी मेरी नियुक्ति की गई, मिस प्याऊ जी को टिकट देकर यहां घूमने आना, ये सब हमारे अपने पिलान का ही हिस्सा था।

फिर पता चला ये सारा काम बस तबाही मचाने के लिए तो नहीं किया जा रहा, किसी का बहुत बड़ा उद्देश्य है इसके पीछे! बस ये समझ न आ रहा था कि जब तबाही दिल्ली में फैलानी थी तो उत्तराखंड में क्यों घास छिल रहे हैं?

ठीक है मुझे शुद्ध हिंदी बोलते देखकर बोर मत हो, अब कोई होता तब न कॉमेडी करता यार! मेरी खराब किस्मत! यहां आया तो पता चला बर्बादी जी सब पहले ही बर्बाद कर दिए हैं, आज देहरादून ज्वालामुखी के मुहाने पर मेरा मतलब फटते परमाणु बम के सिरहाने खड़ा है, इसका क्या क्या फायदा होगा पता नहीं, ये तो कोई बिजनेसमैन ही जाने.. ये खाली स्थान भैया का दिमाग बहुत ही शातिर है, तुम लोग क्या जानो...अहह!'

एक अंधा मोड़ पर करते ही सामने से एक ट्रक तेजी से उसकी ओर बढ़ते आता हुआ नजर आया, अनि ने यह देखकर क्रेकर को एक किनारे करने की कोशिश किया मगर तब तक देर हो चुकी थी, जोरदार टक्कर के कारण  कुछ दूर तक  क्रेकर सहित फिसलता हुआ अनि लहराते हुए पहाड़ी के नीचे एक पथरीले समतल पर जा गिरा। अनि के हाथ और पैर पैर बुरी तरह छिल गए थे, कपड़े कई जगह से फट चुके थे। क्रेकर ऊपर सड़क पर एक किनारे पड़ा हुआ था, अचानक जोरदार टक्कर से उसका भी नक्शा बिगड़ चुका था। अनि ने खुद को किसी तरह खुद को संभालते हुए उठने की कोशिश कर रहा था, तभी उसने अपना एक पैर, एक भारी-भरकम पहाड़नुमा शख्स के पैरों तले कुचला पाया। उस शख्स को देखते ही अनि की चीख निकल गयी।

"बॉस ने कहा ये हमारे लिए खतरनाक है!" उस पहाड़नुमा शख्स ने दूसरे व्यक्ति से व्यंग्यात्मक स्वर में कहा, जो कि ट्रक के किनारे खड़ा था।

'यार ये मिस्टर बर्बादी इतना दर्द कैसे सह लेता है' अनि किसी तरह अपने आप को उसके चंगुल से निकालने की नाकाम कोशिशें कर रहा था।  "ऊ मोरी माई रे… थोड़ा तो रहम करना सीख लेता माउंट एवरेस्ट की औलाद...!"

"हो सकता है बॉस को गलतफहमी हुई हो, इसे तो मैं चींटी की तरह मसल दूंगा।" वह नकाबपोश पहाड़नुमा शख्स दम्भ भरता हुआ बोला।

"अब इतनी भी इज्जती न करो यार, बहुत मेहनत लगती है बेइज्जत कमाने में!" दर्द से कराहते हुए अनि ने कहा, वह बुरी तरह छटपटा रहा था मगर चेहरे पर दर्द के भाव तक न थे, यह देखकर वह नकाबपोश हैरान रह गया।

"अब बातें छोड़ तालीम! इसे पकड़कर बॉस के पास भी ले जाना है।" ट्रक के पास खड़े नकाबपोश व्यक्ति ने उस शख्स से कहा।

"तो तालीम भैया, थोड़ी सी भी तालीम नहीं मिली है आपको, चलो अब इनके आर्डर फॉलो करो, हमें अपनी माशूका की तरह गोद में उठाओ और ले चलो अपने पप्पा खाली स्थान के पास..! याद रहे ये ऑफर सीमित समय के लिए है।" अनि ने उसे चिढ़ाते हुए कहा। अनि की बातें सुनकर तालीम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया, वह उसे फाड़-खाने के इरादे से घूरने लगा।

"अरे ऐसे घूर क्या रहे हो तालीम भैया! इतनी भी तहजीब नहीं है आपको कि ऐसी तमीज से भरी इश्क़िया निगाहों से लड़कियों को देखा जाता है, मैं तो एक सौ एक परसेंट लड़का हूँ यार! अब इतना प्यार न बरसाओ..!"

"उसकी बात मत सुन तालीम! चल जल्दी कर, वो जानबूझकर तुझे गुस्सा दिला रहा है।" ट्रक के पास खड़ा नकाबपोश नीचे उतरते हुए बोला। मगर अब तालीम का गुस्सा सातवें आसमान को चीरते हुए पार पहुंच गया था, वह अपने आपे से बाहर हो चुका था।

"इस बच्चे की इतनी हिम्मत?" तालीम आग बबूला हो चुका था।

"अभी बच्चे की हिम्मत देखे कहा हो मिस्टर अनपढ़-गंवार माउंट एवरेस्ट की औलाद!" अनि के दाहिने हाथ में एक पत्थर का टुकड़ा आ चुका था, तालीम के झुकते ही उसने उसके गाल पर जोरदार प्रहार किया। तालीम के एक दो दांत तो टूट ही गए होंगे। वह लड़खड़ाते हुए धम्म से एक साइड गिरा, उसने लहू मिश्रित खून गटका और अनि के चेहरे पर मजबूत घूसे से शक्तिशाली वार किया, अनि लहराता हुआ पीछे की ओर दूर जा गिरा।

"अपनी औकात में रहा कर बच्चे!" कहते हुए तालीम ने अनि की कॉलर पकड़कर उसे एक हाथ से हवा में उठा दिया, अनि की साँसे थमने लगीं। दूसरा नकाबपोश तालीम को समझाने में लगा हुआ था, इन में से किसी का ध्यान क्रेकर की ओर नहीं गया जो धीरे धीरे खुद की सारी रिपेयरिंग कम्पलीट करता जा रहा था।

"हम अपनी औकात में नहीं आते, जाओ जी, हम तुम्हारी बात में नहीं आते।" उसके हाथ को, दोनों हाथ से मजबूती से पकड़े हुए अनि बोला। उसकी इस बात ने तालीम के गुस्से की आग में घी का काम की, उसने अनि को जमीन पर पटक दिया। अनि का चेहरा धूल-मिट्टी से सन गया, वह अपने आप को झाड़ते हुए उठा।

"तालीम रुक जा, क्या कर रहा है!" दूसरे नकाबपोश ने उसे समझाने की कोशिश की।

"मैं किसी की बात नहीं सुनता वीरेन!" कहते हुए तालीम अनि की ओर बढ़ा।

"बॉस ने उसे जिंदा लाने को कहा है!" वीरेन ने उसे याद दिलाया।

"जिंदा ही मिलेगा, पर हड्डियां सलामत रहेंगी या नहीं, इसकी मेरी कोई गारंटी नहीं है।" कहता है तालीम अनि पर जोरदार घूसा मारना चाहा, पर तबतक अनि अपने स्थान से हट चुका था। उसका वार खाली गया।

"पर तुम्हारी हड्डियां बिल्कुल सलामत रहेंगी, ये मेरा दावा है।" अनि ने अपने होंठो से बह रहे खून को पोंछते हुए मुस्कुराकर बोला।

"अब तक मैं तेरी सलामती के लिए तालीम को रोक रहा था बच्चे! अब तेरी हालत का जिम्मेदार सिर्फ तू होगा।" वीरेन, अनि की इस हरकत से गुस्से से भर गया।

"हाँ! हाँ! बोल तो ऐसे रहे हो जैसे अब तक मेरी हालत के जिम्मेदार तुम थे! म..मेरी वो बेवफा सनम, कर दी ऐसी रहम क्या बताऊँ तुमको, खाकर रब की झूठी कसम.. चली गयी छोड़कर मुझे..! हूहूहू..!" कहते हुए अनि जोर-जोर से रोने लगा।

"जो बोलना है साफ बोलो!" वीरेन ने धमकी भरे लहजे में कहा।

"अब यह कुछ बोलने लायक नहीं रहेगा!" कहता है तालीम अनि पर झप्पटा मारा, अगले ही पल अनि ने हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया, तालीम उसपर झपटने ही वाला था तभी अनि फ्रंट फ्लिप लेकर उछला और तालीम के ऊपर से दौड़ते हुए वीरेन के पास पहुँच गया।

"उसने मुझसे वादा किया था कि हमारे बच्चे होंगे, वो बहुत ही अच्छे होंगे, छोटे नन्ने मुन्ने मुझे पापा कहेंगे, मेरे पप्पा जी को दादा कहेंगे, फिर सब उसने मटियामेट कर दिया..उस दिन उसने लेट कर दिया।" अनि लगभग रोते हुए बोला।

"मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि तुम क्या कह रहे हो, अगर तुम मुझे अपनी चाल में फंसाना चाहते हो तो इससे तुम्हारा कोई फायदा नहीं होगा, मैं तुम्हारे बारे में बहुत अच्छे से जानता हूँ, तुम इस चाल में हर बार नाकामयाब रहोगे।" वीरेन ने अनि पर पिस्तौल तानते हुए कहा। "अब तुम चुपचाप चलो!" उसने धमकाते हुए अनि को आगे धकेला, तालीम उठकर अपने कपड़े झाड़ रहा था।

"अगर इतना ही जानते हो तो ये भी जानते हूँ कि मैं लौंड़ा बड़ा सख्त हूँ, हनुमान जी का परमभक्त हूँ!" अनि ने पलके झुकाए-झुकाए ही पूछा।

"मतलब..!"

"इसकी बकवास क्यों सुन रहा है तू वीरेन?"

"मतलब ये कि मैं बालब्रह्मचारी हूँ!" अनि ने मुस्कुराकर कहा, वातावरण में हल्की सी गुर्राहट गूँजने लगी, ट्रक की हेडलाइट्स की रोशनी में नहाया हुआ क्रेकर उठ खड़ा हुआ था, अब तक पर बिल्कुल नए की तरह रिपेयर हो चुका था, उसपर लगे सारे डेंट्स के निशान मिट चुके थे। अब वह किसी शोरूम में सजाई गई नई बाइक के समान लग रहा था। उसके कवर के बॉडी पार्ट्स पूर्णतः चेंज हो चुके थे, अनि के मुंह से बालब्रह्मचारी शब्द सुनते ही वह फिर से स्टार्ट होकर तैयार चुका था। यह देखकर अनि मुस्कुराया।

"इतनी सी बात नहीं समझे भीमसेन जी!" होंठो पर कुटिल मुस्कान सजाये अनि उसकी ओर घुमा, उसने अपनी उंगलियों को इस तरह नचाया कि पिस्तौल पर उसकी पकड़ ढीली हो गई, उसके ध्यान भटकते ही अनि ने उसके थोबड़े पर जोरदार किक जड़ दिया। अनि के इस अप्रत्याशित हरकत से वीरेन हैरान रह गया, उसके हाथ से पिस्तौल छूट गयी। वह  लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर गिरने लगा।

"मैं कह रहा था इसकी बकवास पर ध्यान मत दो!" वीरेन को घूरते हुए तालीम, अनि की ओर बढ़ा।

"तुम बस दो ही आये हो मिस्टर जालिम! हम आप पर कोई जुल्म नहीं करना चाहते थे मगर आपने हमें मजबूर किया है। अब हमको इल्जाम न देना।" कहता हुआ अनि उसकी ओर उछला, उसकी जोरदार किक तालीम की छाती पर पड़ी मगर तालीम जस का तस खड़ा रहा, यह देखते ही अनि हैरान रह गया, वह अपने बाल नोंचने लगा।

"मुझे हैरानी होती है कि बॉस को तू आफत का पुतला लग रहा था।" तालीम ने अनि के थोबड़े पर जबरदस्त घूसा रसीद किया।

"वाह! बड़ा जल्दी बदला ले लिए।" अपने फ़टे होंठो से बह रहे खून को पोंछते हुए अनि बोला। "वैसे आफत का कोई पुतला नहीं होता, सही कहा न क्रेकर?" अनि मुस्कुराया। तालीम उसकी बातों को अनसुना कर अगला वार करने आगे बढ़ा, उसका अगला जबरदस्त मुक्का अनि के थोबड़े को तोड़ने ही वाला था कि तभी क्रेकर की बेआवाज टक्कर ने उसे उछाल दिया, क्रेकर की गति बहुत अधिक थी, टक्कर के बाद अंधेरों से सिर्फ तालीम की चीख ही सुनाई दे रही थी, जो कि काफी दूर से आती हुई प्रतीत हो रही थी। थोड़ी देर बाद हल्के चिट-पुट के बाद उसकी चीखों का आना बंद हो गया। क्रेकर ने उस ओर उजाला किया जिधर टक्कर के बाद तालीम गिरा था मगर दूर दूर तक घने अंधेरे और पेड़ो के अतिरिक्त कुछ नजर नहीं आ रहा था।

"इतना जोर से टक्कर नहीं मारनी थी न!" अनि क्रेकर की ओर बढ़ते हुए बोला।

"वो तुमपर अपनी पूरी ताकत से मारने वाला था!" क्रेकर ने मशीनी आवाज में कहा।

"अरे मैं मर थोड़ी न जाता! वैसे नया लुक वाकई कमाल का है!" अनि धीमे से मुस्काया। कुछ ही पलों के लिए ही सही उसका ध्यान वीरेन से हट चुका था।

"तालीम को रास्ते से हटाकर अपने आप को हीरो मत समझ लड़के!" वीरेन अपनी पिस्तौल पर झपटकर उठाते हुए कहा।

"म..मैंने कुछ नहीं किया है भीमसेन जी! ये सबकुछ तो नामुराद क्रेकर ने किया है। क्रेकर जरा इन्हें बताओ कैसे किया तुमने, बस टक्कर जरा धीरे मारना!" अनि, वीरेन को अनदेखा करते हुए बोला।

"वहीं रुक जाओ! मुझे नहीं पता ये कैसी अजीब सी मोटरबाइक है, पर मैं जानता हूँ तुम सुन सकते हो इसलिए अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया तो इस लड़के में मैं पूरी की पूरी छः गोलियां उतार दूंगा।

"क्या यार! कुछ तो नया बोलो, वही पुराना घिसापिटा विलन वाला डायलॉग! अमां मियां यार, उसके पास पैर नहीं पहिये हैं वो कदम कैसे बढ़ाएगा?" अनि ने अपने सिर को पकड़कर सोचने की मुद्रा बनाते हुए बोला, जैसे कोई बहुत बड़ा सवाल हो। इससे पहले वीरेन कोई हरकत करता क्रेकर के चारों तरफ एक गोल घेरा बनने लगा, वीरेन के हाथ में थमी बन्दूक उसके हाथ से छुटकर उस घेरे में जा गिरे।

"ये कैसे हो सकता है?" वीरेन ऐसे हैरान था जैसे उनने  कोई आठवां अजूबा देख लिया हो। क्रेकर अपने चुम्बकीय घेरे को निष्क्रिय कर चुका था।

"ऐसे!" अनि ने झपटकर वह बन्दूक उठाते हुए कहा। "अब जल्दी से अपने काका यानी खाली स्थान के बारें में बको वरना मुझे और भी कई तरीके आते हैं!" अनि उसे धमकाते हुए, उसकी ओर बढ़ा।

"नहीं, कभी नहीं!" वह दृढ़ता से चीखा।

"ठीक है फिर जीने के लिए तैयार हो जाओ! यमराज से कहना मैं उनकी बेटी के लिए 'सदा कुँवारा' वाला कुँवारा बैठा हूँ।" अनि के होंठो पर कुटिल मुस्कान छा गई।

"तुम मुझसे कुछ नहीं उगलवा सकते!" वीरेन, उसे अपनी ओर इस तरह बढ़ते देखकर चीखा।

"मैं तुमसे उगलवा कहाँ रहा हूँ भीमसेन जी, मैं तो तुम्हें निगलवा रहा हूँ वो भी बस छः गोलियां..!"  अनि की आंखों में जमाने भर की शरारत नजर आ रही थी।

"मैं तुम्हें कभी नहीं बताऊंगा!" वीरेन अपनी पूरी ताकत से चीखा।

"अरे अबा खान! मैं कहाँ कुछ कर रहा हूँ जो तुम एक ही बात की रट लगाए बैठे हो!"

"वहीं रुक जाओ, वरना…!"

"नहीं रुकते!" अनि ने हाथ नचाते हुए कहा। "अब बताओ क्या वरना..!"

"बॉस तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा!" वीरेन गुस्से से भड़का।

"न छोड़े, मेरी बला से, मगर तुम्हें कौन जिंदा छोड़ेगा।" अनि उसके बिल्कुल करीब पहुँच गया था, पिस्तौल का रूख वीरेन की छाती पर था।

"मक़सद के लिए!" अचानक वीरेन ने एक पुड़िया फाड़ी और उसे गटक लिया और दौड़ते हुए पीछे की खाई में छलांग लगा दिया।  अनि यह देखकर बहुत हैरान हुआ, अगले ही पल उसकी आंखों में शरारत की जगह हैरत ने ले लिया।

"क्रेकर..र!" अनि चिल्लाया। थोड़ी देर तक वातावरण में वीरेन की चीख गूंजती रही फिर सबकुछ शांत हो गया। अनि के हाथों से हाथ आया सबूत फिसल गया था, उसके चेहरे पे मायूसी छा गयी। अचानक ही उसे ट्रक का ध्यान आया वह जस का तस वहीं खड़ा था, उसकी हेडलाइट्स अब भी जल रहीं थी। यह देखकर अनि ट्रक की ओर भागा, उसे यह निश्चित था कि ट्रक में कुछ न कुछ हाथ लग ही जायेगा। जैसे ही वह ट्रक के पास पहुँचा, पूरा ट्रक धीरे-धीरे रोशन होने लगा, अनि को जबतक कुछ समझ में आता ट्रक फट चुका था।

ट्रक के जलते हुए टुकड़े हवा में उड़ते हुए सड़क के चारों ओर बिखरने लगे, एक पल को ऐसा लगा जैसे ज्वालामुखी से लावा निकल रहा हो, अगले ही पल अनि को लिए हुए क्रेकर तेज गति से वहां से बाहर निकला, अनि को कुछ समझ न आ रहा था, उसपर कमज़ोरी छाने लगी थी, आखिर ब्लैंक को अनि के बारे में कैसे पता चला..! उसके मन में कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे, क्रेकर तेजी से मैन मार्किट की ओर बढ़ा, सुबह होने ही वाली थी।


क्रमशः….


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4 Comments

यह भाग भी ओसम था।😳 शायद अनि अब थोड़ा खुश हो जाये 😂 क्यूकी क्रेकर नया बन गया 🤣🤣 पर कहना पड़ेगा, यह भाग भी मस्ताना था। 🥰🥰 हर एक डायलॉग में कॉमेडी 😂😂मुझे एक्शन में कोई इंटरस्ट नहीं होता, पर कॉमेडी के साथ जो फाइट हुई है उसकी क्या ही बात कहु 😂😂 सस्पेंस और ज्यादा हो गया है 😂😂 देखते है आगे क्या होगा।

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Pamela

02-Feb-2022 01:50 AM

Kafi achcha likha hai

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Niraj Pandey

18-Nov-2021 09:54 AM

बहुत ही बेहतरीन

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